भीलवाड़ा में बनेगा प्रदेश का पहला भगवान देवनारायण कॉरिडोर
➡️ भीलवाड़ा में बनेगा प्रदेश का पहला भगवान देवनारायण कॉरिडोर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में भगवान देवनारायण के नाम पर राज्य का पहला आध्यात्मिक कॉरिडोर विकसित किया जाएगा। यह ऐतिहासिक पहल गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
➡️ यह परियोजना केंद्र सरकार की PRASAD योजना (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Augmentation Drive) के तहत लागू की जा रही है।
➡️ विकास के लिए ₹48.73 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं।
➡️ PRASAD योजना
PRASAD- Pilgrimage Rejuvenation and spiritual augmentation drive 2014
➡️ कॉरिडोर की खास बातें:
स्थान: परियोजना मालासेरी डूंगरी (आसींद), जो भगवान देवनारायण का जन्म स्थल माना जाता है, से शुरू होकर आसपास के 5 प्रमुख तीर्थस्थलों को जोड़ेगी।
कवर क्षेत्र: लगभग 30 किलोमीटर क्षेत्र में धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा।
इन 5 तीर्थ स्थलों को मिलेगा नया रूपः मालासेरी डूंगरी, साडूमाता की बावड़ी, सवाईभोज मंदिर, गढ़ गोठा, बरनागर
➡️ .PRASAD- Pilgrimage Rejuvenation and spiritual augmentation drive
उद्देश्य: देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों का विकास करना और उन्हें पर्यटन के साथ जोड़ना
प्रमुख कार्यः आधारभूत ढांचे का सुधार, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं (सड़क,रुकने की व्यवस्था, स्वच्छता, संकेतक आदि) लाभ: धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा, स्थानीय रोजगार में वृद्धि, सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
यह योजना पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाई जाती
शुरुआत: वर्ष 2014 में केंद्र सरकार द्वारा
राजस्थान के शामिल स्थान
1.अजमेर शरीफ दरगाह एवं पुष्कर स्वीकृत – ₹32.64 करोड़ (2015-16)
2 भगवान देवनारायण कोरिडोर स्वीकृत – ₹48.73 करोड़ (2024-25)
3 श्री करणी माता मंदिर देश्नोक शामिल - विकासाधीन
4 सूर्य मंदिर, बुढाहिता शामिल - प्रस्तावित /कोटा आंशिक कार्य
नीम कॉरिडोर
भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत भीलवाड़ा के आसींद क्षेत्र में भगवान श्री देवनारायण की जन्मस्थली पर नीम कॉरिडोर राजस्थान सरकार द्वारा विकसित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण है, जिसमें 5-10 किमी क्षेत्र में नीम के पौधे लगाए जाएंगे।
प्रत्येक भक्त को एक नीम का पौधा भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया जाएगा। साथ ही, 'देवनायण' नर्सरी स्थापित होगी, जहाँ नीम के पौधे तैयार किए जाएँगे।
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